Tuesday, 16 April 2013

आदमी


आदमी ही आदमी का दुश्मन है,
कोई दलित, कोई सवर्ण तो कोई मुस्लिम है..

जिस तरह सुबह, दोपहर, शाम सब एक प्रहर है,
असहिष्णुता की बात करना, दूध में मिला जहर है..

कलयुग में सत्य अहिंसा की बात करना, भयंकर है,
ऐशे में नृप और राक्षस में क्या अंतर है..

गंगोत्री में क्या गंगा-जमुना-सरस्वती, सब हर हर गंगे है,
धर्म जाती की बात करने वाले सम्मान के लिए भूखे नंगे है..

सबसे ज्यादा विवाद में रहता यहाँ का गणतंत्र है,
नहले पर दहला मारता, यहाँ का कानून तन्त्र है..

दारू-मुर्गा, जात-पात पर ही जिन्दा यहाँ का लोकतंत्र है,
क्योंकी यह नेताओं का नही जनता का ही षडयंत्र है..

युवा,पत्रकार,वकील,अधिकारी,पुलिस सभी अपने फेरे में है,
तभी तो इतना उर्जावान देश अब भी अँधेरे में है..

यह उतनी ही झूठी नजीर है की देश में समता के लिए शिक्षा जरूरी है.
जितना यह कहना की मोहब्बत पर लिखने के लिए ये होना जरूरी है..
--"राघवेन्द्र मिश्र"