Friday, 3 October 2014

मौत पर सिर्फ मुआवजा, ये कैसी सरकार

मौत पर सिर्फ मुआवजा, ये कैसी सरकार

मौत और इज्जत जरूरी या पैसा... नेताजी लोग (बीजेपी, कांग्रेस या कोई भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दल के), मुआवजा की जगह व्यवस्था दुरुस्त करना ही हादसे में शिकार लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि है...
सच में नए भारत का निर्माण करना चाहते हो तो हादसों को रोका... कुछ ऐसा करो, जिससे घर से मेला घूमने निकले बच्चे की लाश लौटकर ना आए... कुछ ऐसा करो कि सफर कर रहे व्यक्ति खुद के पैरों पर घर पहुंचे, न कि एंबुलेंस या चार कंधों में... कुछ ऐसा करो कि लड़की इज्जत लूटने से पहले रेपिस्ट को उसकी सजा के खौफ से हार्ट अटैक आ जाए...

पटना में रावण दहन के बाद भगदड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई... गोरखपुर में ट्रेन हादसे में 14 लोगों की जान चली गई... लखनऊ और बदायूं में युवतियां गैंगरेप का शिकार हो गईं... इन सब के बाद सरकार (केंद्र और राज्य) ने क्या किया... सिर्फ उनके परिजनों को मुआवजा दिया... 1 लाख, 2 लाख, 5 लाख, 10 लाख... धन्य हो लोग...

किसी भी हादसे के बाद सरकार और प्रशासन मुआवजा की घोषणा करके कॉलर उठाकर निकल लेती है... हो गई जिम्मेदारी पूरी...

गुरु ये आम लोग हैं सामान्य रहते हैं, सामान्य खाते हैं लेकिन दिल से बड़े होते हैं... इन्हें पैसे से ज्यादा इंसानियत की जरूरत है...

तुम्हारे लिए पैसा ही सबकुछ है... तुम जिंदगी की कीमत मुआवजे/पैसे से लगा सकते हो, तुम इज्जत/आबरू को मुआवजा से दोबारा पा सकता हो... लेकिन, एक आदमी के लिए यही चीज सबकुछ है... ये पैसे के पीछे नहीं जिंदगी के पीछे भागते हैं...
 इनकी लिए यही चीजें सबकुछ हैं... ये रूखा-सूखा खा सकते हैं, फटा-पुराना पहन सकते हैं, पैदल ही लंबी दूरी तय कर सकते हैं... लेकिन मानवता और संवेदनाओं से समझौता नहीं कर सकते...
ढाक के तीन पात हैं सब...