यूपी के बाराबंकी में 13 साल की एक बच्ची के साथ 17 साल का एक लड़का रेप करता है। फिर धमकी देता है कि किसी को बताया तो घरवालों को मार डालेगा। डरी बच्ची किसी से भी इसका जिक्र नहीं करती है। छह महीने तक उस मासूम को अपने शरीर में हो रहे परिवर्तन के बारे में कुछ नहीं पता चलता। एक दिन उसकी तबीयत बिगड़ने पर परिवार के लोग उसे हॉस्पिटल ले जाते हैं और वहां सोनोग्राफी टेस्ट में सामने आता है कि वह प्रेग्नेंट है। इसके बात परिवार के लोगों के जोर देने पर बच्ची उन्हें रेप के बारे में बताती है।
तय करिए कौन दोषी है...
8 जुलाई को मासूम के पिता ने इसकी शिकायत पुलिस से की। वहां से उन्हें प्रॉपर रिस्पॉंस नहीं मिला। इसके बाद गर्भपात की इजाजत लेने के लिए परिवार के लोग बाराबंकी मजिस्ट्रेट कोर्ट गए, लेकिन वहां से उन्हें जिला अस्पताल भेज दिया गया। 18 अगस्त को परिवार सीएमओ से मिला तो उन्होंने कोर्ट जाने के लिए कह दिया। इसके बाद परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 7 सितंबर को कोर्ट ने कहा कि पहले मेडिकल जांच कराओ। जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने यह कहकर गर्भपात की इजाजत देने से मना कर दिया कि गर्भ साढ़े सात महीने का हो चुका है। बच्ची का जान जा सकती है। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मासूम को क्वीन मैरी मेडिकल कॉलेज में बीते 10 सितंबर से डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। 26 अक्टूबर को मासूम ने एक मासूम लड़की को जन्म दिया।
तय करिए दोषी कौन-कौन है...
अपनी बेबसी को लेकर हॉस्पिटल में नवजात के साथ समय काट रही मासूम की मदद के लिए तीन दिन के बाद भी कोई नहीं पहुंचा। जनता की हिमायती बनने वाली मोदी सरकार हो या मुस्कुराइए आप यूपी में है का नारा बुलंद करने वाली अखिलेश सरकार, मैं फोटो खिंचाने के लिए गरीबों के पास नहीं जाता कहने वाले राहुल गांधी हो या कोई भी नेता। न तो कोई एनजीओ पहुंची, न तो व्यक्ति।
तय करिए कौन दोषी है...
सवाल यह है कि बच्ची के भविष्य के साथ-साथ उस बच्चे का क्या होगा, जो दुनिया में एक जुल्म की वजह से आया है। हंसने-खेलने की उम्र में रेप और फिर प्रेग्नेंसी की पहाड़ जैसी तकलीफ से लड़ने वाली मासूम क्या करेगी। वह मासूम अपनी बच्ची का शक्ल नहीं देखना चाहती। सिर्फ रो रही है।
तय करिए दोषी कौन है ...
बच्ची के पिता कहते हैं, ''आखिर अब हम पड़ोसियों, रिश्तेदारों और समाज से कैसे आंख मिला पाएंगे। साहब, इज्जत उतर गई है हमारी। मजदूरी कर घर चलाता हूं। बड़ी बिटिया इंटर में है। उसकी एक छोटी बहन और एक भाई है। ऐसे में अब उनका क्या होगा? वे कहते हैं, ''साहब, उस बच्ची को लेकर तो वे घर नहीं जाएंगे। बच्ची को हॉस्पिटल में ही छोड़ देंगे। मुनिया तो हमारी बच्ची है, अभी तक उसने ठीक से होश भी नहीं संभाला है।''
तय करिए कौन है दोषी...
मासूम के पिता कहते हैं, ''साहब, आरोपी के घर की चौखट पर कई बार मत्था तक टेक चुका हूं, लेकिन वो कहते हैं कि बेटा जेल में सड़ जाए, लेकिन न तो मुनिया को अपनाएंगे और ना ही उसके बच्चे को। जितना पैसा खर्च करना होगा करेंगे, लेकिन अपनाएंगे नहीं।''
तय करिए कौन है दोषी...
पिता कहते हैं, ''साहब, गुडगांव और दिल्ली से दो लोग बच्ची को गोद लेने के लिए भी आए थे, लेकिन मैंने कह दिया मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम। अब जज साहब ही जानें। आठ तारीख को जज साहब मिलने आए तो, उन्होंने पूछा कि बच्ची के पैदा होने के बाद क्या करोगे? मैंने साफ कह दिया कि मैं नहीं ले जाऊंगा। आप ही जानें क्या करना है।''
तय करिए कौन है दोषी...
सड़क से लेकर सोशल साइट्स तक खुद को जनता का हिमायती बताने वाले नेता, ढ़ेरों फंड जुटाने वाली सामाजिक संस्था, अरबों-खरबों रुपए रखने के लिए उद्योगपति, खुद में ही भगत सिंह से लेकर चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर महात्मा गांधी तक का अक्स देखने वाले लोग और खुद का मानवता का हितैषी मानने वाले किसी भी शख्स ने अब तक परिवार की किसी भी तरह की मदद नहीं की है।
मामले में 3 नवंबर को कोर्ट का फैसला आना है। वहां से अब भी कुछ उम्मीद है?
मामले में 3 नवंबर को कोर्ट का फैसला आना है। वहां से अब भी कुछ उम्मीद है?
तय करिए दोषी कौन है...
मैं, कोर्ट, पीएम, सीएम, नेता, समाजसेवक या किसी भी इंसान पर कमेंट नहीं करना चाहता। बस इस बात पर खुद के लिए गुस्सा आ रहा है कि मेरा जन्म कहां हो गया है। हां, इस बात पर भी आ रहा है कि मैं सोच क्यों नहीं पा रहा मुझे क्या करना चाहिए। बस गुस्सा आ रहा है और कुछ नहीं। हां यह भी पता है कि मैं कुछ नहीं कर पाउंगा, सिर्फ लिख के रह जाउंगा।