बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने असहिष्णुता पर बयान दिया। वह भी एक ऐसे समारोह में जहां देश के बड़े पत्रकारों के साथ-साथ सरकार तक उनकी बात पहुंचा सकने वाले कद्दावर केंद्रीय मंत्री बैठे थे। इस देश में संवैधानिक रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। हर किसी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है, तो आमिर ने भी अपने अधिकार का प्रयोग किया। इसके साथ ही एक वाजिब जगह पर रखने के लिए भी बधाई। लेकिन... इस लेकिन में ही दो प्रश्न हैं...
आमिर खान, आपको लोग मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहते हैं। लेकिन, क्या आपने सहिष्णुता/असहिष्णुता पर दिए बयान में वह परफेक्शन दिखाया है। आपने पुरस्कार वापसी का समर्थन करते हुए कहा, यह क्रिएटिव लोगों का विरोध का तरीका है। यह आपका तर्क है कि आप किसे पसंद करते हैं, किसे नहीं। लेकिन, आपने कहा, 'मेरी पत्नी ने मुझसे कहा था, क्या हमें देश छोड़ना चाहिए।' यह बात चुभ सी गई। इस स्टेटमेंट में मुझे आप असहिष्णु दिखे। इसके लिए मेरे पास दो तर्क हैं।
पहला तर्क- इस देश के लोग 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' कहा जाता है। स्वर्ग, में कुछ कमियां हो सकती हैं, लेकिन लोग उसे छोड़ते नहीं है। ऐसा होता तो लोग नर्क की कामना करते। इसी स्वर्ग रूपी जननी ने आपको इतना दिया है कि आप दूसरे देश में जा कर बसने की बात सोच सकते हैं। इसके बावजूद आप या आपकी पत्नी इस तरह की बात करेंगे तो दूसरों का क्या होगा।
दूसरा तर्क- आमिर खान, आप एक सिलेब्रिटी हैं। आपकी फिल्में कम भी कमाई करती हैं तो 2-3 सौ करोड़ का कारोबार करती हैं। लेकिन, एक परफेक्शनिस्ट सिर्फ अपने बारे में सोचे तो बड़ा अजीब लगता है। आप उनके बारे में भी सोचिए, जिनके पास इतने पैसे नहीं है। हर कोई देश छोड़कर जाने की सोचने भी लगे, तो क्या वह आर्थिक रूप से इतना मजबूत है कि कहीं और बस सकता है?
आमिर खान, हो सकता है बीते दिनों लव जिहाद, दादरी, बीफ, पाकिस्तान चले जाओ, साहित्यकारों की हत्या, जैसी घटनाओं से आप या आपके परिवार को डर लगा हो। शादी से पहले आपकी पत्नी हिंदू थी तो शायद आप लव जिहाद के मुद्दे से डर गए हों। यह भी हो सकता है कि आप बीफ खाए हों, या खाना पसंद करते हों तो बीफ केस से डरे हों। फिर कलीबुर्गी की हत्या ने आप में डर पैदा किया हो। लेकिन, आप जैसा मजबूत सिलेब्रिटी डरेगा तो दूसरों का क्या होगा।
आमिर खान, आप इस डर के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकते हैं। अपने तर्कों के साथ अपना पक्ष रख सकते हैं। आपके आने से कमजोर लोगों को भी मजबूती मिलेगी। डर से भागिए से बेहतर लड़ना है। देश ने आपको बहुत कुछ दिया है, कुछ तो कर्ज उतारिए, कुछ तो फर्ज निभाइए।
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