दोस्त कहूं, तांत्रिक कहूं या फ्रॉड?
आज गुगल पर ऐसे ही इमेज सर्च कर रहा था... अचानक एक तांत्रिक पर आंखें रूक गई... लगा इसे कहीं देखे हैं... याद ही नहीं आ रहा था... फिर पेज खोजते हुए उसके फेसबुक पेज तक पहुंच गए... कई फोटो देखने के बाद क्लियर हुआ कि अरे ये तो अपना .... दोस्त है...
मेरे ही मोहल्ले में रहता था... मेरे ही स्कूल से पढ़ा भी था... हां शायद कुछ गलत संगत में चला गया था...
भोपाल जाने से पहले जब मैं राघवेंद्र मिश्र ही था, तब वे एक बार आया था... बता रहा था भाई डकैती के इलजाम में पुलिस पकड़ ली थी... बड़ा परेशान चल रहे हैं... मैंने उसे एक भैया जो बड़े नेता हैं से मिलवाया, उसका काम हो गया था... इसके बाद आखिरी बांर होली में मिला था... सफारी गाड़ी से जा रहा था कहीं... मुझे देख कर अबीर लगाने के लिए रूका... फिर कहा- भाई कल मिलते हैं, बिजनेस प्लान किए हैं.. तुम्हें भी उसमें शामिल करना है... फिर निकल गया...
इसके बाद आज दिखा... तांत्रिक के भेष में... उसके बगल में एक गनर... न जाने कितना कंठी माला पहने हुए... उसके फेसबुक पेज पर कई वीडियो दिखा... इसमें वह श्मशान पर कुछ कर रहा था... इसके अलावा भी कई मंदिरों में खींचा हुआ फोटो लगाया हुआ था...
मजे की बात है उसने अपना एड्रेस-कलकत्ता, स्टडी इन- असम यूनिवर्सिटी, वर्क एज- भारतीय साधक, लिखा हुआ है... दुनिया भर के लोग उस पर गुरु जी चरण स्पर्श... गुरु जी अपना नंबर दीजिए... इस टाइप का कमेंट किए पड़े हैं...
क्या बोलूं... बस लगता है हिंदी शब्दकोश में आने वाले समय में चोर/डकैत का पर्यावाची बाबा ना हो जाए
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