कुछ सरकारें मीट पर बैन लगा रही हैं। कहा जा रहा है कि जैन धर्म के पवित्र पर्यूषण (उपवास का त्योहार) पर्व को देखते हुए यह बैन है। इसके तहत मुंबई की दो नगर पालिका, गुजरात के अहमदाबाद, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में मीट पर बैन है। सुना है कि मीट बनाने में प्याज की ज्यादा खपत होती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि प्याज की बिक्री कम करने और प्याज को लेकर मचे हंगामे को देखकर ऐसा निर्णय लिया जा रहा है। प्याज पर बैन में थोड़ी इकोनॉमिक्स हो सकती है तो थोड़ी पॉलिटिक्स।
प्याज की बढ़ती कीमतों से सरकारें हमेशा से डरी रहती हैं। प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण ही कई नेताओं की गद्दी छीनी है। कई बार इसने सियासत का रूख बदला है। ऐसे में मीट बंद होने का कारण प्याज भी हो सकता है। वैसे जिन-जिन जगहों पर प्याज पर बैन लग रहा है वहां सरकार में बीजेपी ही है। प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर लोग केंद्र की एनडीए सरकार पर निशाना साधने लगे हैं, ऐसे में बीजेपी शासित राज्य कहीं इसी तरह से केंद्र की मदद तो नहीं कर रहे हैं।
दूसरी तरफ यह भी हो सकता है बीजेपी जैन धर्म के वोटर्स को अपने पक्ष में करने के लिए ऐसा कर रही हो। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि जैन धर्म के पर्व के दौरान मुंबई में मीट पर बैन का प्रस्ताव साल 1994 में कांग्रेस सरकार लाई थी। 10 साल बाद दो दिनों के बैन को बढ़ा कर चार दिन कर दिया गया। हालांकि, इसे कभी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया।
इकोनॉमिक्स कहती है कि किसी चीज को ज्यादा बेचना हो तो उसके दाम में थोड़ी सी गिरावट ला दें। या फिर किसी चीज का दाम ज्यादा होने से बाजार में हाहाकार मचा हो तो उसकी खपत कम कर दें। तो ऐसा भी हो सकता है कि यहां इकोनॉमिक्स लग रही हो। कुछ दिन ही सही प्याज की बिक्री बंद हो जाए तो प्याज के दाम पर असर भी पड़ जाए।
वैसे मुंबई के दो नगर पालिका (17 और 20 सितंबर को), गुजरात के अहमदाबाद (11 सितंबर से 18 सितंबर तक), राजस्थान (17,18 और 27 सितंबर को), छत्तीसगढ़ (10 से 18 सितंबर तक) और पंजाब (17 सितंबर को) मीट पर बैन लगाने से कितना फर्क पड़ सकता है, यह तो कोई बड़ा अर्थशास्त्री ही बता सकता है।
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