देश में एक तरफ चारो ओर बलात्कार (रेप) की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। तो दूसरी और कुछ लोग क्रूरता और बेशर्मी की पराकाष्ठा पार करते हुए बलात्कार का भी बलात्कार करते हुए इसे जाति, धर्म, महिला/लड़की/बच्ची/बुजूर्ग, क्षेत्र से जोड़ कर राजनीति कर रहे हैं। कुछ लोग इसमें रेप पीड़िता को या महिलाओं/लड़कियों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो कुछ कानून व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था पर उंगली उठा रहे हैं। कुछ लोग ...सेक्स और रेप को अपने-अपने तरह से परिभाषित कर रहे हैं तो कुछ नैतिकता और संस्कार को दोषी मान रहे हैं। शर्म आती है ये देख-सुन कर की लोग बलात्कार को भी अलग-अलग चस्मे से देख रहे हैं।
आज के समय में लोगों का कला का सम्मान करने का तरीका बदल गया है। ‘डर्टी पिक्चर’ फिल्म को राष्ट्रीय पूरस्कार देकर, ‘हेट स्टोरी’ जैसी फिल्मों का कलेक्शन फैमिली फिल्मों से कई गुना ज्यादा देकर, सनि लिओनी और पूनम पांडेय को मुख्य अतिथि बनाकर लोग कला का सम्मान करने लगे हैं।
वहीं टेलीवीजन सेटों (इडियट बॉक्श) पर 24 घंटे शेविंग क्रिम से लेकर डियोड्रेंट और पॉवडर से लेकर इनर वियर (लड़के/लड़कियों) को कामुकता के केंद्र में रखकर बेचा जा रहा है और अर्धनग्न मॉडलों से उसका प्रचार कराते हुए लोग रेप के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। अब इस तरह के उत्पादों का प्रयोग करने के बाद जब अविकसित दिमाग वालों के मन में आग लग रही है और कोई उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर रहा तो ये फ्रस्टेशन कहीं ना कहीं तो निकलेगा ही। और इसका खामियाजा नादान बच्चियां और सलवार सूट वाली लड़कियां भुगतती है। नतीजा बड़ी संख्या में आपके सामने है।
दूसरी ओर मधु किश्वर का बयान आता है कि रेप के कारणों में महिलाओं के कपड़े भी जिम्मेदार होते हैं। जरा आप मधु किश्वर के टीन एज की तस्वीरों से लेकर आज तक की तस्वीरों में उनके कपड़ों पर गौर कर लें, उनके बयान और वास्तविकता में अंतर स्पष्ट हो जाएगा। मैम कपड़ो का छोटा होना और दिमाग के छोटे होने में अंतर है।
वहीं रेप पर राजनीति भी बहुत करीने से हो रही है। अलग-अलग पार्टीयां इसे अलग-अलग एंगल दे रही हैं। लोग पीड़िता की जाती/धर्म जानने के बाद उस जाती से जुड़े अपने वरिष्ठ नेता से बयान दिलवा रहे हैं। इसमें कांग्रेस, भाजपा समेत लगभग सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां हैं। धन्य हैं आप लोग और आप की राजनीति।
लोकसभा, राज्यसभा से लगायत विधानसभाओं और नौकरशाही में बलात्कार के मुजरीमों को बैठा कर आप देश में सदाचार और नैतिकता की बात करते हैं ? जो लोग टीवी और फिल्मों में अश्लीलता फैला रहे हैं वो हाई सिक्योरिटी लेकर क्यों घूमते हैं? इन लोगों के नग्नता की सजा बेचारी आम बच्चियां/लड़कियां भूगत रही हैं। इनकी नग्नता और खास प्रचारों से प्रभावित और मानसिक दिवालियापन से ग्रसित यूवकों की शिकार हाई सिक्योरिटी जोन में रहने वाली ये मॉडल/हिरोइन नहीं चुकाती बल्कि वे आम महिलाएं/लड़कियां/बच्चियां चूकाती हैं, जो जिंदगी की भागमभाग में खुद को स्थापित करने से लिए घर से बाहर और गांव से शहर रोज करती हैं।
अब वक्त ऐसे जघन्य अपराध पर कानून बनाने का नहीं बल्कि सजा देने का है। जल्द से जल्द बलात्कारियों को पकड़ कर ऐसी सजा दें जिसे सुन और देख कर मानसिक रूप से दिवालियापन का शिकार हुए यूवकों/आदमीयों की रूह कांप जाए और किसी भी महिला की और नजर घुमाने से पहले मात्र सजा के बारे में सोच कर वो सिहर जाएं। अब नैतिकता और संस्कार का पाठ पढ़ाने का समय नहीं रह गया अब सजा देने का समय आ गया है, जिससे जल्द से जल्द ऐसी घटनाएं रुक जाएं। किसी भी गलत काम को रोकने के लिए डर और शर्म दो चीज की जरूरत होती है। बलात्कारियों के पास शर्म नाम की कोई चीज रह नहीं जाती है इसलिए उन्हें डराना पड़ेगा और ढ़ंग से डराना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं तुरंत बंद हो।
आज के समय में लोगों का कला का सम्मान करने का तरीका बदल गया है। ‘डर्टी पिक्चर’ फिल्म को राष्ट्रीय पूरस्कार देकर, ‘हेट स्टोरी’ जैसी फिल्मों का कलेक्शन फैमिली फिल्मों से कई गुना ज्यादा देकर, सनि लिओनी और पूनम पांडेय को मुख्य अतिथि बनाकर लोग कला का सम्मान करने लगे हैं।
वहीं टेलीवीजन सेटों (इडियट बॉक्श) पर 24 घंटे शेविंग क्रिम से लेकर डियोड्रेंट और पॉवडर से लेकर इनर वियर (लड़के/लड़कियों) को कामुकता के केंद्र में रखकर बेचा जा रहा है और अर्धनग्न मॉडलों से उसका प्रचार कराते हुए लोग रेप के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। अब इस तरह के उत्पादों का प्रयोग करने के बाद जब अविकसित दिमाग वालों के मन में आग लग रही है और कोई उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर रहा तो ये फ्रस्टेशन कहीं ना कहीं तो निकलेगा ही। और इसका खामियाजा नादान बच्चियां और सलवार सूट वाली लड़कियां भुगतती है। नतीजा बड़ी संख्या में आपके सामने है।
दूसरी ओर मधु किश्वर का बयान आता है कि रेप के कारणों में महिलाओं के कपड़े भी जिम्मेदार होते हैं। जरा आप मधु किश्वर के टीन एज की तस्वीरों से लेकर आज तक की तस्वीरों में उनके कपड़ों पर गौर कर लें, उनके बयान और वास्तविकता में अंतर स्पष्ट हो जाएगा। मैम कपड़ो का छोटा होना और दिमाग के छोटे होने में अंतर है।
वहीं रेप पर राजनीति भी बहुत करीने से हो रही है। अलग-अलग पार्टीयां इसे अलग-अलग एंगल दे रही हैं। लोग पीड़िता की जाती/धर्म जानने के बाद उस जाती से जुड़े अपने वरिष्ठ नेता से बयान दिलवा रहे हैं। इसमें कांग्रेस, भाजपा समेत लगभग सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां हैं। धन्य हैं आप लोग और आप की राजनीति।
लोकसभा, राज्यसभा से लगायत विधानसभाओं और नौकरशाही में बलात्कार के मुजरीमों को बैठा कर आप देश में सदाचार और नैतिकता की बात करते हैं ? जो लोग टीवी और फिल्मों में अश्लीलता फैला रहे हैं वो हाई सिक्योरिटी लेकर क्यों घूमते हैं? इन लोगों के नग्नता की सजा बेचारी आम बच्चियां/लड़कियां भूगत रही हैं। इनकी नग्नता और खास प्रचारों से प्रभावित और मानसिक दिवालियापन से ग्रसित यूवकों की शिकार हाई सिक्योरिटी जोन में रहने वाली ये मॉडल/हिरोइन नहीं चुकाती बल्कि वे आम महिलाएं/लड़कियां/बच्चियां चूकाती हैं, जो जिंदगी की भागमभाग में खुद को स्थापित करने से लिए घर से बाहर और गांव से शहर रोज करती हैं।
अब वक्त ऐसे जघन्य अपराध पर कानून बनाने का नहीं बल्कि सजा देने का है। जल्द से जल्द बलात्कारियों को पकड़ कर ऐसी सजा दें जिसे सुन और देख कर मानसिक रूप से दिवालियापन का शिकार हुए यूवकों/आदमीयों की रूह कांप जाए और किसी भी महिला की और नजर घुमाने से पहले मात्र सजा के बारे में सोच कर वो सिहर जाएं। अब नैतिकता और संस्कार का पाठ पढ़ाने का समय नहीं रह गया अब सजा देने का समय आ गया है, जिससे जल्द से जल्द ऐसी घटनाएं रुक जाएं। किसी भी गलत काम को रोकने के लिए डर और शर्म दो चीज की जरूरत होती है। बलात्कारियों के पास शर्म नाम की कोई चीज रह नहीं जाती है इसलिए उन्हें डराना पड़ेगा और ढ़ंग से डराना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं तुरंत बंद हो।
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