Tuesday, 27 January 2015

पाकिस्तान हद में रहो...

पाकिस्तान हद में रहो...

पाकिस्तानी चैनल ARY NEWS के एंकर ने मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को 'गधा' बोला, 'गुजरात का कसाई' बोला... पाकिस्तानियों तुम्हें शर्म नहीं आई भारत, भारत के प्रधानमंत्री और भारत के दिल, दिल्ली पर कमेंट करते हुए... तुम लोगों ने दिल्ली को क्राइम कैपिटल कहते हुए वर्ल्ड का मैप नहीं देखा, जिसमें तुम्हारे देश को रेड मार्क करते हुए आतंकी कंट्री के तौर पर देखा जाता है...

हमारे देश के प्रधानमंत्री विश्व के सबसे शक्तिशाली आदमी को बराक, बराक कहकर बुलाता है और ओबामा, तुम्हारे पीएम को हमेशा औकात में रहने की नसीहत देते हैं... ओबामा, हमारे प्रधानमंत्री के साथ गार्डेन में चहलकदमी करते हैं और तुम्हारे प्रधानमंत्री को पुचकारते हैं... ओबामा, हमारे प्रधानमंत्री के साथ अकेले में चाय पीते हुए गुफ्तगु करते हैं और तुम्हारे प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से हड़काते रहते हैं...हमारे यहां की सेना की तारीफ करते हैं और पाकिस्तान में अपनी सेना को भेज कर लादेन को मारते हैं... इस पर तुम शर्म से झुकने की जगह उल्टा कमेंट कर रहे हो... गजबे न वाहियात हो...

जहां के प्रधानमंत्री ही सेना के द्वारा नजरबंद हो जाता है... जहां की महिलाओं को जिंदगी, जीने नहीं सिर्फ बिताने का अधिकार मिला है, वहां के लोग भारतीय महिलाओं की सुरक्षा पर कमेंट कर रहे हैं!!!
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सीट पर सवाल उठाने से पहले तुम्हें अपने यहां की अस्थाई जिंदगी नहीं दिखाई देती??? मासूमों को गोलियों से भूनते, महिलाओं पर अत्याचार होते देखने वाले देश को यहां की शांति पर चिंता हो रही है!!!


जहां तालिबान को चैरिटेबल ट्रस्ट माना जाता है, वह हमारे देश के सर्वधर्म सद्भाव पर सवाल कर रहा है... दिल्ली को रेप कैपिटल बताने से पहले तुम ये नहीं सोचते कि तुम्हारे यहां रेप कभी न्यूज ही नहीं बनता, क्योंकि तुम लोगों को वह रोज का काम लगने लगा है...

तुम चीन और बांग्लादेश से हमारे संबंधों पर बात करते हो, भूल गए कि बांग्लादेश तुमसे अलग कैसे हुआ था...
गुरु बनारसी में एक कहावत है, ''बाऊ का नाम पावर हाउस बेटवा अंधेरा में''... इसका एंगल बदलते हुए हम तु्म्हारे ऊपर अप्लाई करते है... सुनो, हमें दुख है कि भारत पावर हाउस होते हुए भी तुम जैसे मामूली ट्रांसफार्मर को छोड़ा हुआ है... बचवा, अब भी वक्त है सुधर जाओ नहीं तो जब अबकी मोबिल नहीं पलटी होगा, पूरा ट्रांसफार्मर ही बदला जाएगा...

Saturday, 24 January 2015

स्वच्छ भारत अभियान पर दाग

स्वच्छ भारत अभियान पर दाग


विश्व का एक शक्तिशाली व्यक्ति आ रहा है (अब कैंसिल हो गया) तो भारत का एक बच्चा हाथ से सड़क को रगड़-रगड़ कर साफ कर रहा है... जय हो अतिथि देवा भव: की... करीब 600 लोगों (जिसमें लोगों के अनुसार 100 के आस-पास 16 साल से कम उम्र के थे) को सिर्फ इसलिए लगाया गया था कि वे सड़कों पर लोगों के थूक को हाथों से रगड़-रगड़ कर साफ करेंगे। इसके एवज में उन्हें रोजाना के 300 रुपए दिए जा रहे थे... भाई स्वच्छ भारत जो दिखाना था... इसी से तो भारत का मान बढ़ेगा...

न्यूयॉर्क पोस्ट में ये आर्टिकल देखा तो पिछले एक हफ्ते से भारतीय मीडिया में चलने वाली खबरें अपने आप रिकॉल हो गई... फिर सोचा सब नौकरी कर रहे हैं... पत्रकारिता कौन कर रहा है... फिर देखा न्यूयॉर्क पोस्ट के हवाले से ही भारतीय मीडिया में भी ये खबरें चलने लगी हैं... धन्य हैं लोग...

मानवाधिकार आयोग या बचपन बचाओ जैसा आंदोलन चलाने वाली एनजीओ का भी ध्यान ऐसी चीजों पर नहीं जाता है... जाएगा भी कैसे अमेरिका के राष्ट्रपति का जो सवाल है...

पाकिस्तान-अफगानिस्तान जैसे देशों में घर में नजरबंद करने जैसी चीजें सुनता हूं... अब भारत में उसी को दूसरे रूप में अप्लाई किया जा रहा है... दुनिया के शक्तिशाली व्यक्ति जाएंगे तो ताजमहल के आस-पास रहने वाले लोग अपने छत, बालकनी और दरवाजों पर नहीं जा सकेंगे... कुछ ऐसा ही फरमान सुनाया गया था... ये है आजाद भारत की असली सुरक्षा की रणनीति...

हद तो तब हो गई जब आर्टिकल में भारत के एक पूर्व चीफ आर्कियोलॉजिस्ट का स्टेटमेंट देखा... उन्होंने कहा है कि सड़कों पर थूक के धब्बे बहुत हैं और उन्हें हाथों से साफ करना होगा। सड़कें चकाचक होनी चाहिए... क्या कहें, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने घर की सफाई के लिए 4-5 नौकर रखे रहते हैं... बात करते हैं स्वच्छता की...


कोई नहीं... मजबूत भारत है... बढ़ता भारत!!! अइसही न बढ़ेंगे हम लोग... 

Friday, 23 January 2015

नेताजी सुभाष चंद्र बोस रियल हीरो

रियल हीरो नेताजी की जयंती है... एक ऐसा शख्स जो शहीद होने के बाद भी अबूझ पहेली बना हुआ है।

टाइटेनिक, लॉरेंस ऑफ अर्बिया, गोइंग माई वे, द बेस्ट ईयर ऑफ अवर लाइव, शिकागो, द लॉर्ड ऑफ रिंग जैसी ऑस्कर जीती हुई फिल्में हो या रंग दे बसंती, अग्निपथ जैसी फिल्में... हिंदी की कविताएं हो, नॉवेल हों या मैग्जीन-अखबार... गुरु किसी में भी उतना मजा नहीं आता जितना नेताजी को पढ़ कर आता है...

सुभाष चंद्र बोस का भेष बदलना, उनका अंग्रेजों से लड़ना, वर्मा और रंगून में जाकर सेना बनाना, आजाद हिंद फौज बनाना, महिला फौज बनाना, हिटलर तक को सम्मान करने के लिए मजबूर कर देना, ये सब कुछ ऐसी चीजें हैं जो सिर्फ कल्पना की जा सकती है... गुरु देश की आजादी के लिए दूसरे देश में सेना बनाना... ई सिर्फ नेता जी ही कर सकते थे...
नेताजी जो शब्द को सुभाष चंद्र बोस जी गंगा की तरह पवित्र बना कर चले गए हैं... जैसे गंगा में नाला, नहर आजकल तो सीवर भी मिल कर पवित्र हो जाता है, वैसे ही सुभाष चंद्र बोस जी, नेताजी शब्द को इतना पवित्र बना कर गए हैं कि चोर, डकैत, हत्यारे, लुटेरे, रेपिस्ट सब इस नाम से इज्जत पा रहे हैं...

जब तक जिंदा थे, कोई नहीं जान पाया नेता जी कहां है, क्या कर रहे हैं, कौन सी रणनीति बना रहे हैं और किस रूप में सामने आ जाएंगे... जिंदा नहीं होने (शरीर से) पर भी लोग उनके बारे में नहीं जान पाए...

मैं हीरो शब्द की कल्पना करता हूं तो सिर्फ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही नजर आते हैं... उन्हें शत् शत् नमन...

Wednesday, 7 January 2015

कार्टून का कटाक्ष

कार्टून का कटाक्ष

कार्टून का कटाक्ष इतना तेज होता है कि गोली और राकेट लांचर से भी तेज व्यक्ति के जेहन में घुस जाता है..
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स्व. मनोरंजन कांजीलाल चाचा जी, जगत नारायण शर्मा चाचा जी, विनय कुल चाचा जी और स्व. सुशील त्रिपाठी चाचा जी (कार्टून+पेंटिंग)... इन्हें बचपन से पढ़ते आया हूं... कांजीलाल चाचा जी के कई कार्टून पापा जी फाइलों में अब भी हैं और सुशील चाचा जी की तस्वीरों को नजदीक से देखा हूं...

अगर एक फोटो 1000 शब्द के बराबर माना जाता है, तो निश्चित रूप से एक कार्टून लाखों शब्द के बराबर होता है... कार्टून के द्वारा किसी चीज की आलोचना या बड़ाई दोनों ही एक अलग अंदाज में होता है... इसका कोई तोड़ नहीं होता...

उदाहरण देखिए फ्रांस की राजधानी पेरिस के चरमपंथी कार्टून से इतना घबड़ा गए कि पत्रिका के दफ्तर में हमला बोल दिया... शायद ये उनकी हार की बौखलाहट ही थी... उन्हें डर था कि ऐसे कार्टून उन जैसे चरमपंथियों को समाज से अलग कर देंगे...
मृतकों को श्रद्धांजलि...