Wednesday, 7 January 2015

कार्टून का कटाक्ष

कार्टून का कटाक्ष

कार्टून का कटाक्ष इतना तेज होता है कि गोली और राकेट लांचर से भी तेज व्यक्ति के जेहन में घुस जाता है..
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स्व. मनोरंजन कांजीलाल चाचा जी, जगत नारायण शर्मा चाचा जी, विनय कुल चाचा जी और स्व. सुशील त्रिपाठी चाचा जी (कार्टून+पेंटिंग)... इन्हें बचपन से पढ़ते आया हूं... कांजीलाल चाचा जी के कई कार्टून पापा जी फाइलों में अब भी हैं और सुशील चाचा जी की तस्वीरों को नजदीक से देखा हूं...

अगर एक फोटो 1000 शब्द के बराबर माना जाता है, तो निश्चित रूप से एक कार्टून लाखों शब्द के बराबर होता है... कार्टून के द्वारा किसी चीज की आलोचना या बड़ाई दोनों ही एक अलग अंदाज में होता है... इसका कोई तोड़ नहीं होता...

उदाहरण देखिए फ्रांस की राजधानी पेरिस के चरमपंथी कार्टून से इतना घबड़ा गए कि पत्रिका के दफ्तर में हमला बोल दिया... शायद ये उनकी हार की बौखलाहट ही थी... उन्हें डर था कि ऐसे कार्टून उन जैसे चरमपंथियों को समाज से अलग कर देंगे...
मृतकों को श्रद्धांजलि...

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