Friday, 23 January 2015

नेताजी सुभाष चंद्र बोस रियल हीरो

रियल हीरो नेताजी की जयंती है... एक ऐसा शख्स जो शहीद होने के बाद भी अबूझ पहेली बना हुआ है।

टाइटेनिक, लॉरेंस ऑफ अर्बिया, गोइंग माई वे, द बेस्ट ईयर ऑफ अवर लाइव, शिकागो, द लॉर्ड ऑफ रिंग जैसी ऑस्कर जीती हुई फिल्में हो या रंग दे बसंती, अग्निपथ जैसी फिल्में... हिंदी की कविताएं हो, नॉवेल हों या मैग्जीन-अखबार... गुरु किसी में भी उतना मजा नहीं आता जितना नेताजी को पढ़ कर आता है...

सुभाष चंद्र बोस का भेष बदलना, उनका अंग्रेजों से लड़ना, वर्मा और रंगून में जाकर सेना बनाना, आजाद हिंद फौज बनाना, महिला फौज बनाना, हिटलर तक को सम्मान करने के लिए मजबूर कर देना, ये सब कुछ ऐसी चीजें हैं जो सिर्फ कल्पना की जा सकती है... गुरु देश की आजादी के लिए दूसरे देश में सेना बनाना... ई सिर्फ नेता जी ही कर सकते थे...
नेताजी जो शब्द को सुभाष चंद्र बोस जी गंगा की तरह पवित्र बना कर चले गए हैं... जैसे गंगा में नाला, नहर आजकल तो सीवर भी मिल कर पवित्र हो जाता है, वैसे ही सुभाष चंद्र बोस जी, नेताजी शब्द को इतना पवित्र बना कर गए हैं कि चोर, डकैत, हत्यारे, लुटेरे, रेपिस्ट सब इस नाम से इज्जत पा रहे हैं...

जब तक जिंदा थे, कोई नहीं जान पाया नेता जी कहां है, क्या कर रहे हैं, कौन सी रणनीति बना रहे हैं और किस रूप में सामने आ जाएंगे... जिंदा नहीं होने (शरीर से) पर भी लोग उनके बारे में नहीं जान पाए...

मैं हीरो शब्द की कल्पना करता हूं तो सिर्फ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही नजर आते हैं... उन्हें शत् शत् नमन...

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