नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, लगातार दूसरे देशों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वह व्यापारिक समझौते के साथ-साथ देश की सुरक्षा के लिए भी समझौते कर रहे हैं। 69वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से झंडा फहराने के बाद 16 अगस्त को वह यूएई जा रहे हैं। यूएई अबु धाबी, अजमान, दुबई, फुजेराह, रास एल-खैमाह, शारजाह और उम एल-कुवैन जैसे समृद्ध राष्ट्रों का एक संघ है और भारत से उसके अच्छे संबंध रहे हैं।
यूएई भारत के लिए अहम देश है, क्योंकि वहां भारत के लगभग 26 लाख लोग काम करते हैं, जिनमें अधिकतर मजदूर हैं। वे अमरीका और यूरोप में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से बहुत अलग हैं। इनमें केरल के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। वे साल में एक बार अपने घर जरूर आते हैं और भारत में हर साल तकरीबन 12 अरब डॉलर रुपए भेजते हैं, जो कि एक बड़ी रकम है। व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो चीन और अमरीका के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार देश है।
इतना महत्वपूर्ण देश होने के बावजूद बीते 34 साल से किसी प्रधानमंत्री ने वहां का दौरा नहीं किया था। नरेंद्र मोदी से पहले साल 1981 में इंदिरा गांधी वहां गई थी और साल 2013 में मनमोहन सिंह का प्रोग्राम बनते-बनते स्थगित हो गया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से नई संभावनाएं बन रही है। रवानगी से पहले उन्होंने कहा भी कि वे दोनों देशों के बीच असंतुलन को खत्म कर रिश्ते सुधारना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह उस देश का उनका पहला दौरा है, जिसकी वे तारीफ करते हैं। हालांकि, इसके दूसरे अर्थ भी निकाले जा सकते हैं कि अब तक अमेरिका, चीन जैसे जिन 20 से ज्यादा देशों का उन्होंने दौरा किया है, वह उनकी तारीफ नहीं करना चाहते थे।
फोटो: मेरे मित्र नवीन गडवानी की है, जो बीते चार वर्षों से दुबई में जॉब कर रहे हैं।
चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की भारत यात्रा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच 52 अरब डॉलर के करार हुए हैं। वहीं, अमेरिका ने भी बीते आठ महीने में दो बार भारत के साथ करार में 45 अरब डॉलर का निवेश किया है। जापान से 35 अरब डॉलर, फ्रांस से 2.30 अरब डॉलर और कनाडा से 35 करोड़ डॉलर का निवेश होने की उम्मीद है। वहीं, यूएई कच्चे तेल और ऊर्जा क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है। यूएई की अर्थव्यवस्था 800 अरब डॉलर की है और मौजूदा समय में भारत में उसका निवेश सिर्फ तीन अरब डॉलर का है। निवेश के लिए उसे बाजार चाहिए जो भारत में है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो दोनों देश के बीच यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें प्रत्यर्पण, आपसी कानूनी सहयोग और तस्करी जैसे मुद्दे अहम हैं। वहीं, आईएसआईएस के खतरों को देखते हुए यूएई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही दोनों देश आतंकवाद निरोधी सहयोग के लिए समझौते कर सकते हैं। वहीं, आईएसआईएस की कैद में फंसे 39 भारतीयों की रिहाई के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
अब राजनीतिक मायने भी देख सकते हैं। अपने इस दौरे में वह दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद कही जाने वाली अबु धाबी के शेख जायद मस्जिद भी जाएंगे। इस मस्जिद में करीब 40 हजार लोग एक साथ जा सकते हैं। मोदी वहां भारतीय कामगारों से मुलाकात भी करेंगे। ऐसे में यह दौरा प्रधानमंत्री की हिंदू नेता वाली छवि से ऊपर उठकर उन्हें सभी वर्गों का नेता बनने में मदद करेगा। वहीं, बिहार में होने वाले चुनाव में भी यह बीजेपी को मदद कर सकता है।
यूएई में रह रहे 26 लाख भारतीयों को भी नरेंद्र मोदी के आने का इंतजार होगा। हो भी क्यों न आखिर उनके घर से कोई वहां पहुंच रहा है।
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