Thursday, 16 July 2015

मोदी जी गंगा पुत्र होते हुए 10 हजार रुपए प्रति सेकेंड की कीमत पर काशी आएंगे!

आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी

गंगा पुत्र जी, देश की जनता को आपसे बहुत उम्मीद है। रिकॉर्डतोड़ वोट और सांसदों के साथ आप देश के प्रधानमंत्री बने हैं। देश को संक्रमण काल से बाहर निकालने की आपने बात कही है। आप ने ही कहा है कि हम विश्व गुरु बनेंगे। गरीब से गरीब का गुणात्मक विकास होगा। सरकारी योजनाएं लाइन में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेंगी। सभी चीजों का डिजिटलाइजेशन ऐसा होगा कि डायनासोर की तरह करप्शन इस देश से गायब हो जाएगा। लोग बुलेट ट्रेन की तेजी से 'दिन दूना और रात चौगुना' तरक्की करेंगे। 

मान्यवर, ये कैसी विडंबना है कि गंगा पुत्र ही काशी नहीं पहुंच पा रहे हैं। विकास रूपी जहाज में उड़ते हुए आप विश्व के देशों की यात्राएं कर रहे हैं, लेकिन अपने ही संसदीय क्षेत्र नहीं पहुंच पा रहे हैं। एक ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन क्यों नहीं हो पा रहा? आप तो चाय बेचकर और काफी मुफलिसी में संघर्ष कर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं, फिर आप पानी की तरह बारिश में बहते पैसे को कैसे देख सकते हैं।

16 जुलाई को भी आपका वाराणसी का दौरा था। बारिश के प्रभाव को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे, लेकिन इसी दौरान एक मजदूर की करंट से मौत हो गई। वह भी उसकी जो आपके मंच पर फूल लगा रहा था ताकि आपको अच्छी खुशबू मिले। हां यह बात दिगर है कि वाराणसी की जनता गंदगी में जीने की आदी हो चुकी है। उस निर्णय का स्वागत है जि‍समें आपने कहा कि जहां हादसे में मृत मजदूर का शव रखा है, वहां से आप किस तरह अच्छी बातें कर सकते हैं। अब जरा उनके बारे में भी सोचिए जो पैसों के अभाव में मर रहे हैं।

जरा आप चोरी से बनारस आइए। वही पुराने नरेंद्र दामोदर दास मोदी बनकर अपने संसदीय क्षेत्र की गलियों में घूमिए। देखिए कि लोगों को चलने के लिए सड़कें नहीं हैं। वहां कितनी गंदगी फैली है। उस गंगा को देखिए, जिसे आपने अपनी मां कहा था। झाड़ू लगाकर देश में आपने जहां स्वच्छता की अलख जगाया थे, उसके ठीक बगल में होते कब्जे को देखिए। जैसा आप कहते थे, 'मुझे वोट दीजिए और फिर देश की स्थिति देखिएगा, वैसे ही हम कहते हैं कि आप एक बार आम नागरिक की तरह आइए और यहां के हालात देखिए।' 

मोदी जी, क्या आपको पता है कि बीते चार बार के ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन की तैयारियों में तकरीबन 33 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।  इसमें मंच, टेंट, सिक्युरिटी, पीएम प्रोटोकॉल और मेहमाननवाजी के खर्च शामिल हैं। इतनी रकम में बनारस में गरीब परिवारों के लिए 660 घर बन सकते थे। या फिर 33 हजार टॉयलेट भी बनाए जा सकते थे। 1000 से ज्यादा घरों में एक दिन की बिजली सप्लाई हो सकती थी क्योंकि गुरुवार के दौरे के लिए 1.4 मेगावॉट की बिजली पैदा करने वाले डीजल जनरेटर लगाए गए थे। इतने पैसे की बर्बादी आप कैसे कर सकते हैं। 

मैं समझ ही नहीं पा रहे ये आपके कार्यकाल में ऐसा कैसे हुआ है। इस कार्यक्रम में आप पर तकरीबन 10 हजार रुपए प्रति सेकेंड के हिसाब से खर्च होना था, जो आप नहीं आए तो उसका कुछ फीसदी बच गया। आप जैसे इतने नि‍चले स्तर से ऊपर तक आने वाले व्यक्ति पर इतना खर्च होगा तो क्या होगा? 

आप काशी को क्योटो बनाना चाहते हैं। विश्व के इस पुरातन शहर को दुनिया का आधुनिकतम और सुंदर शहर बनाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए यह जरूरी नहीं कि आप प्रति सेकेंड 10 हजार रुपए खर्च करके वहां आए। ये तो मस्ती से जीने वालों का शहर है। वहां आधे भरे पेट से रहने वाले भी खुशी से हर हर महादेव करते हुए मिल जाते हैं। रईस और गरीब दोनों एक साथ चाय की चुस्‍की और पान के बीच बतकुच्चन करते हैं। सर, आप प्रधानमंत्री बनकर नहीं बस एक आम नागरिक बनकर आइए और कुछ ऐसा करिए कि मुझ जैसे को भी आप पर विश्वास हो जाए। 

3 comments:

  1. क्या बात गुरु... बढ़िया... #ये है मन की बात... हर हर महादेव

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  2. शुक्रिया सर

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  3. सर बहुत ही उम्दा लेख है आपका | पढ़कर अच्छा लगा |

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