Wednesday, 8 July 2015

इन भारतीयों की अपनी कहानी है, जिसके अनुसार पाकिस्तानी हैं

जरा आप सोचिए, विदेश में रहने वाले अपने किसी रिश्तेदार से मिलने आप गए हों और आपका पासपोर्ट खो जाए। आप आर्थिक, सामाजिक और पॉलिटिकल रूप से इतने सक्षम न हों कि भारत से नया पासपोर्ट बनवा लें। फिर भारत लौटने के लिए आपको उस देश से गलत तरीके से पासपोर्ट बनवाना पड़ा। जब आप लौटकर अपने देश आएं तो आपकी नागरिकता को स्वीकार न किया जाए। फिर आप क्या करेंगे? आप भारतीय होकर भी कागजीतौर पर  भारतीय नहीं होंगे।

ऐसी ही कहानी है यूपी के रामपुर, कानपुर शहर, बरेली, शाहजहांपुर, अलीगढ़ और आगरा में रहने वाले दर्जनों परिवारों की। इनमें से सबकी अपनी कहानी है और उसी के अनुसार वे पाकिस्तानी हैं।

यूपी के रामपुर के रहने वाले सिफत उल्लाह खान पाकिस्तान में रहने वाले अपने नाना के घर गए थे। मौजमस्ती के दौर में उनका पासपोर्ट कहीं गुम गया। काफी प्रयास के बाद भी जब वह नहीं मिला तो उन्होंने भारत से दूसरा पासपोर्ट मंगवाने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहे। अब भारतीय थे तो आखिरी कोशिश भी की। उन्‍होंने भी जुगाड़ टेक्नोलॉजी की। उन्होंने पाकिस्तान का फर्जी पासपोर्ट बनवा लिया और चले आए अपने देश। उन्हें पता नहीं था कि उनका यही जुगाड़ उनके लिए मुसीबत खड़ी कर देगा। अब भारत में उन्हें पाकिस्तानी माना जाता है। वह वीजा पर यहां रहते हैं और सरकार से नागरिकता की लगातार मांग कर रहे हैं। 

फरजाना बी की शादी पाकिस्तान में हुई, लेकिन पति ने तलाक दे दिया तो वह वापस अपने घर आ गई। लेकिन, यहां की सरकार ने उन्हें भारतीय मानने से इनकार कर दिया। अब वे अस्थायी वीजा पर यहां रही हैं और स्थायी वीजा की मांग कर रही हैं।

अब यूपी सरकार के एक फैसले ने उन्हें फिर से भारतीय होने का मौका दिया है। गृह विभाग ने प्रदेश के छह जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को चिट्ठी लिखकर पाकिस्तानी नागरिकता पर रह रहे लोगों की जानकारी लेने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उनकी समस्याओं को सुनने और उचित निस्तारण के लिए स्पेशल कैंप लगाने को भी कहा गया है। इससे ऐसे परिवार जो भारतीय नागरिकता प्राप्त करने या फिर दीर्घकालीन वीजा मिलने के लिए लंबे समय से प्रयासरत हैं, उनके लिए एक नई आस जगी है।

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