जरा सोचिए! भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान विश्वनाथन आनंद को बना दिया जाए। किसी गैंगेस्टर को शांति का नोबल पुरस्कार दे दिया जाए। एक भी फिल्म नहीं देखना वाला सत्यजित रॉय पर किताब लिख दे। किसी राजनेता को बॉलीवुड का ब्रांड एंबेस्डर बना दिया जाए। ...तो आपको कैसा लगेगा? इसे छोड़िए। अब ये सोचिए कि अमिताभ बच्चन का नाम आते ही आपकी आंखों के सामने उनकी कौन सी तस्वीर बनती है। हीरो वाली ही न! अब जरा किसान अमिताभ बच्चन के बारे में सोचिए। 'सूर्यवंशम' फिल्म के सीन्स दिमाग में आएं क्या?
भारत सरकार ने हाल ही में डीडी किसान चैनल लॉन्च किया है। बताया जा रहा है कि यह चैनल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था। अब चैनल की रीच बढ़ाने के लिए उसकी मार्केटिंग और ब्रांडिग करनी ही पड़ेगी। इसके लिए एक ऑइकन लीडर की भी जरूरत पड़ेगी जो इसे लीड करे। ऐसे में आपको किसका नाम सूझेगा या आप किसे देखन चाहेंगे। जरा सोचिए! अमेरिका के प्रमुख निवेश सलाहकार और लोकप्रिय लेखक जिम रोजर्स या पंजाबी कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर एसएस गिल या फिर ह्रासमान प्रतिफल नियम (Law of Diminishing Returns) मांग का नियम, पूर्ति का नियम बताने वाले विशेषज्ञ को। डीडी किसान चैनल की रीच बढ़ाने के लिए भारत सरकार को सबसे बड़ा नाम सुझा है अमिताभ बच्चन का। इसके लिए उन्हें 6.31 करोड़ रुपए भी दिए गए हैं।
अब एक्टर अमिताभ बच्चन से बाहर निकलकर किसान अमिताभ के बारे में सोचिए। है न थोड़ा आश्चर्य करने वाली चीज। वैसे किसान चैनल का ब्रांड एंबेस्डर होने से बिगी बी किसान नहीं बने हैं, वह कागजीतौर पर भी किसान हैं। उनके पास लखनऊ के काकोरी के मुजफ्फरनगर चौधरी खेड़ा में करीब 33 बीघा जमीन है। इसकी कीमत करीब 67 लाख रुपए प्रति बीघा बताई गई है। इसे उनके जीजा की देखरेख में शाहजहांपुर का एक परिवार संभालता है। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि इस साल ओलावृष्टि और बारिश से जब किसानों की 70 फीसदी फसल बर्बाद हो गए तो भी बिग बी के खेतों के फसल 95 फीसदी तक सुरक्षित काट लिए गए थे। हैं न वह अच्छे किसान!
जब बुंदेलखंड में किसान सुसाइड कर रहा था, जब महाराष्ट्र के किसान मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे थे और दिल्ली में किसान गजेंद्र, केजरीवाल की सभा में सुसाइड कर रहे थे, उसी बीच बिग बी के खतों की फसलें भी चर्चा में थी। हालांकि, बिग बी ने खुद जाकर खेती नहीं की थी, बल्कि एक किसान परिवार को खेती के लिए लगाया था और उसे खेती के लिए आवश्यक सभी जरूरी चीजें समय पर उपलब्ध कराई गई थीं। वहां पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति को फॉलो किया जाता है, जिसके लिए जमकर पैसा भी खर्च किया जाता है। फिर खेती बेहतर क्यों न हो?
उचित संसाधन और अच्छी कृषि पद्धति से तो फसलों की अच्छी पैदावर की जा सकती है, लेकिन इसके लिए पैसों की भी जरूरत होती है। अब ऐसे किसान जो एक सीजन की खेती से निराशा मिलने पर सुसाइड कर ले रहे हैं वह बिग भी की तरह कैसे इन्वेस्ट कर पाएंगे। रोल मॉडल ऐसा होना चाहिए जो अपने बीच का हो। जिसे देख कर वह इंस्पायर हों कि यह हमारे बीच से ही निकल कर बेहतरीन काम किया है और बुलंदियों को छुआ है। आइकन किसी को थोपा नहीं जा सकता है। बेहतर होता किसी किसान को रोल मॉडल बनाया जाता, एक प्रधान सेवक के तौर पर। जिससे सच में लगता कि भारत कृषि प्रधान देश है और आने वाले समय में यहां की अर्थव्यवस्था कृषि ही मजबूत करेगी।
खैर यह तो भविष्य ही बताएगा कि किसानों के आइकन बने अमिताभ बच्चन से कुछ फायदा भी होगा या किसी फिल्म की स्क्रिप्ट ही बनकर रह जाएगा...
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